पलवल (मुकेश कुमार हसनपुर) 29 जून :- केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह के स्पष्टीकरण से असंतुष्ट बिजली कर्मचारियों ने बिजली निजीकरण के इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 को संसद में रखे जाने से पहले विस्तृत विचार विमर्श हेतु ऊर्जा मामलों की स्टैंडिंग कमेटी को भेजने की मांग की है। ताकि कमेटी के समक्ष सभी स्टेक होल्डरों मुख्यतया बिजली उपभोक्ता, कर्मचारी, इंजीनियर और राज्य सरकारों को अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर मिल सके।
इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाईज फैडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा व राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रमेश चंद ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि बिल में केंद्र शासित चंडीगढ़ और पुडुचेरी के निजीकरण का कोई उल्लेख नहीं है, फिर भी केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने इनके निजीकरण हेतु आदेश जारी कर साफ़ कर दिया है कि केंद्र सरकार मुनाफे वाले क्षेत्र निजी घरानों सौंपना चाहती है।
केंद्रीय विद्युत् मंत्री द्वारा जारी बयान पर फैडरेशन ने कहा है कि 17 अप्रैल को जारी ड्राफ्ट इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 में यदि केंद्र सरकार कोई परिवर्तन कर रही है तो पहले उसे सार्वजानिक किया जाना चाहिए । ध्यान रहे कि केंद्रीय विद्युत् मंत्री ने पिछले सप्ताह जारी बयान में कहा था कि बिल को संसद के मानसून सत्र में पारित कराया जायेगा। इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाईज फैडरेशन ऑफ इंडिया ने केंद्र सरकार को पत्र भेजकर मांग की है कि कोविड -19 संक्रमण के दौर में इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 को जल्दबाजी में संसद के मानसून सत्र में पारित कराना किसी भी प्रकार उचित नहीं होगा।
अतः पूर्व की तरह पहले बिल को संसद की ऊर्जा मामलों की स्टैंडिंग कमेटी को भेजा जाये। उन्होंने बताया कि अगर यह बिल संसद में पास हो गया तो सब्सिडी और क्रास सब्सिडी खत्म हो जाएंगी। बिजली की दरों में भारी बढ़ोतरी होगी और बिजली किसानों व गरीबों की पहुंच से बाहर हो जाएंगी।
केद्रीय विद्युत् मंत्री द्वारा जारी स्पष्टीकरण को खारिज करते हुए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि विद्युत् वितरण के निजीकरण हेतु वितरण सब लाइसेंसी और फ्रेंचाइजी नियुक्त करने , किसानों और गरीब उपभोक्ताओं के लिए बिजली बिल में मिलने वाली सब्सिडी समाप्त करने, निजी बिजली उत्पादन कंपनियों से बिजली खरीद का वितरण कंपनियों द्वारा एल सी खोलकर अग्रिम भुगतान सुनिश्चित करने हेतु इलेक्ट्रिसिटी कान्ट्रैक्ट इन्फोर्स्मेंट अथारिटी को अधिकार सौंपने,निजी बिजली उत्पादन कंपनियों का अग्रिम भुगतान सुनिश्चित न होने पर केंद्रीय लोड डिस्पैच केंद्र को प्रदेश की बिजली आपूर्ति रोकने का अधिकार और पालन न करने पर भारी पेनाल्टी लगाना जैसे मामलों पर केंद्रीय विद्युत् मंत्री के बयान में 17 अप्रैल को जारी ड्राफ्ट बिल से अलग कुछ भी नही कहा गया है|
वितरण कंपनियों की अरबों खरबों रु का नेटवर्क पैसा कमाने हेतु वितरण सब लाइसेंसी और फ्रेंचाइजी को मुफ्त में दे दिया जाएगा तो इससे कौनसा सुधार होने जा रहा है । निजी कम्पनियाँ केवल मुनाफे वाले क्षेत्र में कार्य करने आएंगी,जिसके परिणामस्वरूप सरकारी वितरण कंपनियों का घाटा और बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि केंद्रीय विद्युत् मंत्री द्वारा जारी बयान खासकर बिजली उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों के लिए पूरी तरह निराशाजनक है। इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाईज फैडरेशन ऑफ इंडिया ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी पत्र भेजकर मांग की है कि वे केंद्र सरकार की संसद के आगामी मानसून सत्र में इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 को पारित करने की एकतरफा कोशिश को रोकने हेतु सार्थक पहल करे, जिससे बिजली उपभोक्ताओं विशेष रूप से किसानों और बिजली कर्मियों के हितों की रक्षा की जा सके |